
पश्चिम चंपारण में भारत नेपाल सीमा पर त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी.
भारत-नेपाल सीमा (Indo-Nepal Border) पर स्थित बाल्मीकिनगर की पौराणिक महत्ता है. सीता माता से जुड़े होने के कारण इसका महत्व और बढ़ जाता है. पौराणिक नदी नारायणी, स्वर्णभद्रा और ताम्रभद्रा (River Narayani, Swarnabhadra, Tamrabhadra) की त्रिवेणीसंगम में लोग स्नान कर स्वयं को धन्य समझते हैं.
आदिकुंभस्थली सिमरियाधाम से आए संत करपात्री अग्निहोत्री परमहंस स्वामी चिदात्मा जी महाराज ने इस दुर्लभ योग के विषय में विस्तार से बताया. इस अवसर पर बाल्मीकिनगर के मंदिर में अनंत श्रीकोटि हवनात्मक अंबा महायज्ञ के एक करोड़ आहुति की पूर्णाहुति गुरुवार को संपन्न हुई. इस यज्ञ में देश के कई प्रांतों से लोग सम्मिलित हुए.
कुम्भ क्षेत्र में पूरी हुई एक करोड़ आहुति
इससे पूर्व अन्य कुंभ क्षेत्र में एक एक करोड़ आहुति पूर्ण होने पर पूर्णाहुति होती रही है. आदिकुंभस्थयी सिद्धाश्रम सिमरियाधाम में अब तक 70 करोड़ आहुति पड़ चुकी है. यहां पूर्णाहुति के पश्चात अभिवृथ (यज्ञ की पूर्णाहुति के पश्चात किया जाने वाला स्नान) के साथ साथ कुंभ योग स्नान भी संपन्न हुआ.बाल्मीकिनगर की पौराणिक महत्ता
बाल्मीकिनगर की पौराणिक महत्ता है. सीता माता से जुड़े होने के कारण इसका महत्व और बढ़ जाता है. यहां स्थित पौराणिक स्थलों को पुनर्जागृत करने का प्रयास होना चाहिए.
रिपोर्ट- मुन्ना राज